सुसवाणी माता जी का अंतर धाम स्थल मोरखाणा ।
प्रत्येक ग्राम नगर अपना विशेष ऐतिहासिक महत्व रखता है ,उसकी स्वयं की एक अलग पहचान या विशेषता होती है। राजस्थान राज्य के बीकानेर जिले के अंतर्गत नोखा तहसील की सुनहरी मरुभूमि की गोद में स्थित मोरखाना गांव भी अपनी विशिष्टता लिए सुप्रसिद्ध है। मोरखाणा ग्राम बलिदान एवं शक्ति का प्रतीक है जहां पर श्री सुसवाणी माताजी का प्राचीन (1165ई .=वि.सं.1232) मंदिर है|
मोरखाणा ग्राम देशनोक से लगभग20 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में स्थित है। यह रेल मार्ग से जोधपुर- मेड़ता रोड- नागौर- नोखा- बीकानेर मार्ग की बड़ी लाइन पर सूरपुरा / नापासर स्टेशन से जुड़ा हैं। सुरपुरा स्टेशन से पूर्व की ओर सड़क मार्ग मोरखाणा को जोड़ता है ।मोरखाणा सड़क मार्ग से जोधपुर- नागौर -नोखा- बीकानेर मार्ग पर नोखा से नोखा -सीकर राज्य मागृ काकड़ा ग्राम के निकट बायें रास्ते से बेरासर होता हुआ पक्की सड़क से जुड़ा हुआ है ।बीकानेर से सीधा मोरखाना भी सड़क मार्ग से जाया जा सकता है।
किंवदंतियों के अनुसार मोरखाणा ग्राम प्राचीन समय में राजा मयूरध्वज की राजधानी थी अतः इस ग्राम का नाम मोरखाणा पड़ा । 1972इ. =वि.सं.1229 मैं जब सुराणा वंश की कुलदेवी के रूप में सुसवाणी जी का मोरखाणा में अंतर धाम हुआ था तब से यह पावन भूमि शक्ति- स्थल के रूप में निरंतर निखर रही है।
मोरखाना की पृष्टभूमि में मरुस्थल के मध्य स्वसिंचित हरे -भरे खेजड़े तथा बेर के वृक्षों के बीच प्राचीन केर वृक्ष के वक्षस्थल में समाई माता सुसवाणी जी के अंतर धाम स्थल पर उनका मंदिर 1165 ई = वि. सं .1232 में बनवाया गया जो निरंतर विस्तार के पथ पर अग्रसर है।
मोरखाणा ग्राम अवश्य ही प्राचीन समय से शक्ति स्थल रहा है जिसकी साक्षी में श्री सुसवाणी माता जी से भी अति प्राचीन एक शिव मंदिर है।
मोरखाना ग्राम का प्रदूषण मुक्त शांत वातावरण उसके प्राकृतिक सौंदर्य को निखारता है शक्ति उपासक अवश्य ही उसके विशुद्ध वातावरण में अपने आप को शांत चित्त पाता है मरुभूमि की ग्रीष्मकालीन विशिष्ट शीतल राते शीतकाल में तेजस्वी धूप एवं पावस ऋतु की हरियाली मन को आनंद विभोर कर देती है।
प्रात :कालीन मयूर नृत्य ,मंदिर की शंख नाद एवं घंटियों की झंकरित ध्वनि रुग्न तथा अशांत मन में भी शक्ति एवं आनंद की लहर स्फुरित कर देती है। मोरखाना शक्ति धाम भी अब तीव्र गति से निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है। पेयजल के लिए आधुनिक कुए है।
शिक्षा के क्षेत्र में 1 से 12 कक्षा की पढाई के लिए राजकीय उच्च माध्यमिक आदर्श विद्यालय है ।
श्री सुसवाणी मातेश्वरी की भी अपने भक्तजनों पर असीम कृपा है सुराणा, दूगड़, साँखला गौत्र बंधु संपूर्ण भारत में फैले हुए हैं । मातेश्वरी को किए गए नमस्कार मैं सत्यतः चमत्कार है जो अनुभव अवश्य किया जा सकता है । यही कारण है कि आजकल दूरदराज से कुछ भक्तजन पदयात्रा करते हुए मोरखाना में श्री सुसवाणी माता जी के दर्शन करने आते हैं । प्रत्येक वर्ष अश्विनी शुक्ला दशमी पर मेला लगता है उस दिन भक्त जनों की संख्या हजारों में पार कर जाती है ।